पॉलिगामी बैन ( POLYGAMY BAN ) असम में , वैसे आपको बता दे की असम पॉलिगामी बैन करने वाला पहला इंडियन स्टेट बनने जा रहा है। असम में फरवरी 2024 से पॉलिगामी बैन ,यानी एक से ज्यादा बीवियां रखना पूर्ण रूप से बैन हो जाएगा। और ये स्टेटमेंट खुद असम के सीएम हेमंत विश्वास शर्मा जी ने पब्लिकली मीडिया में दे दिया है। उन्होंने कहा है की असम में पॉलिगामी को बैन करते हुए हम फरवरी में हमारी सरकार एक कानून पास करने जा रही है , उन्होंने सिर्फ अनाउंसमेंट ही नहीं किया है । अभी कुछ दिन पहले 11 जनवरी 2024 तक हमने सारी फॉर्मेलिटी ऑलमोस्ट कंप्लीट कर ली है। और वो 5 फरवरी को इस पॉलिगामी बैन के साथ चाइल्ड मैरिज इवोल्यूशन बिल भी पास करने वाले उनके स्टेटमेंट के बाद अपोजिशन लीडर्स में हड़कंप मच गया, एक अपोजिशन लीडर क्रिटिसाइज करते हुए एक काफी प्रों! हो गए उन्होंने कहा की गवर्नमेंट का ए मूव मुस्लिम के खिलाफ नफरत दिखा रही है।उनका कहना है की सरकार बस इलेक्शन जीतने के लिए ये लॉ पास कर रही है।
पॉलिगामी बैन ( POLYGAMY BAN ) असम में, क्या है प्रॉब्लम?
पॉलिगामी बैन ( POLYGAMY BAN ) असम में , इस मुद्दे पर असम की गवर्नमेंट का ये कहना है कि अपोजिशन लीडर्स बिना बात के बतंगड़ बना रहे हैं, जबकि उनके हिसाब से असम की जनता तो इस डिसीजन से काफी खुश है। वहां की ये वे सर्विस के मुताबिक 97% असम की जनता पॉलिगामी बैन को पूरी तरीके से सपोर्ट कर रही है। लेकिन इससे पहले इस बिल में न वास्तव में एक चीज थोड़ी सी कंट्रोवर्शियल है। पॉलिगामी एक ऐसी रिलिजियस प्रेक्टिस है जो इस्लाम की रिलिजियस राइट्स (Religious Rights ) में आती है।
आज तक कोई भी सरकार इसे छू तक नहीं पाई क्योंकि रिलिजियस राइट्स, कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 25 के तहत मुस्लिमो का एक फंडामेंटल राइट है। लेकिन जो काम केंद्र की सरकार आज तक नहीं कर पाई। आखिर कैसे असम की सरकार वह काम कर सकती है। असम की सरकार इसे कोई नार्मल बिल की तरफ पास नहीं करने वाली बल्कि एक काफी अनयूजुअल तरीके से इसे पास करने वाली है। अच्छा यह सारे इस्लामिक कंट्रीज में भी चलता था , जैसे तुर्की , सऊदी तथा अन्य इस्लामिक कॉन्ट्रिस में लेकिन फिरहाल वह पर भी पॉलिगामी बैन हो चुका है , भारत में अभी तक न लागु हो पाने का एक कारण यह भी है की सरकार अपनी कुर्सी बचना चाहती थी अभी तक।
पॉलिगामी बैन ( POLYGAMY BAN ) असम में, क्या है बैन करने का कारण–
पॉलिगामी बैन ( POLYGAMY BAN ) असम में ,बैन होने के कारण बहुत है ,यहाँ की बिपक्षी पार्टिया तो बहुत विरोध कर रही है लेकिन यहाँ के लोग इसका बढ़-चढ़ कर सपोर्ट कर रहे है यहाँ की महिलाये भी बहुत जयदा सपोर्ट कर रही है ऐसा असम के CM का कहना है।वैसे टाइम्स आफ इंडिया में पब्लिश्ड एक सर्वे के हिसाब से 84% मुस्लिम वूमेन पॉलिगामी प्रेक्टिस को बैन करना चाहती हैं। ये सर्वे भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन बैन में नाम की एक एनजीओ ने अपने रिपोर्ट में पब्लिश किया था, जिसमें उन्होंने भारत के नौ बड़े स्टेटस में पॉलिगामी से अफेक्टेड औरतों से 289 प्रश्न पूछे थे और एक हॉलिस्टिक सर्वे कंडक्ट किया। इस सर्वे की रिपोर्ट से ये पता चला कि पॉलिगामी एक्सपीरियंस करने वाली मोस्ट ऑफ द फीमेल मेंटल ट्रॉमा के साथ ही जी रही। यही पॉलिगामी मैरिज की ये ग्राउंड रियलिटी है। जैसे 70% पॉलिगामी के केसेस में पहली या दूसरी वाइफ मेट्रिक लेवल तक भी नहीं पड़ी होती है जिसकी वजह से इनको कहीं भी ढंग का काम नहीं मिलता है।
ना ही उनके पास कोई इनकम का दूसरा सोर्स होता है जिससे वो आदमी पर ही डिपेंडेंट रहती है और इसीलिए कई औरतों ना चाहते हुए भी अपने बच्चों के खातिर अपने हस्बैंड के दूसरे वाइफ के साथ एक साथ के नीचे रहने पर मजबूर हो जाती है,और शायद जनसँख्या वृद्धि का भी एक कारण बना हुआ है। और इस रिपोर्ट के हिसाब से 42% औरतों ने अपने हस्बैंड के खिलाफ आवाज उठाई थी। लेकिन तब उनकी शादी कराने वाले मौलाना या रिलिजियस प्रीस्ट ने उन्हें सीधे-सीधे एडजस्ट करने की ही सलाह दी और ऐसा इसीलिए क्योंकि इस्लाम में उनकी रिलिजियस बुक के सराहा अनीशा 43 के हिसाब से पॉलिगामी अलाउड है।
अब यहां पर कुरान में लिखी गई बात गलत नहीं है। लेकिन शायद इसका यह कोई और मतलब है खैर बाकी के रिलिजियस जैसे हिंदुइज्म, बुद्धिस्म और क्रिश्चियन में मैरिज के आगेन एक सेगमेंट माना जाता है। बट इस्लाम में मैरिज को मेल और फीमेल के बीच का एक सिविल कॉन्ट्रैक्ट माना जाता है और बाकायदा निकाय में कॉन्ट्रैक्ट जिसे निकाह नामा कहते हैं वो हस्बैंड और वाइफ साइन करते हैं और ये कॉन्ट्रैक्ट उन काजी द्वारा वैलिड करवाया जाता है। एडजस्ट करने वाली सलाह की बात तब सामने आई जब साल 2022 में दिल्ली में रहने वाली 28 वर्ष की रेशमा ने दिल्ली हाईकोर्ट से ये रिक्वेस्ट की की वो सरकार को पॉलिगामी बैन करने के लिए लॉ बनाने का आदेश दें,
क्योंकि रेशमा ने बताया उनके पति शोएब खान ने दूसरी शादी की और जब रेशमा ने इसका विरोध किया तब शोएब ने रेशम के साथ मारपीट करके उन्हें और उनके बच्चे को हमेशा हमेशा के लिए अकेले छोड़ दिया। एसियन जर्नल आफ सायकेट्री की रिपोर्ट
के हिसाब से पॉलिगामी से प्रताड़ित वूमेन, मेंटल ट्रॉमा, अनहैप्पीनेस, लैक आफ ट्रस्ट जैसे कई मेंटल बीमारियों को फेस कर रही है एवं यूनिवर्सिटी आफ लिंकन द्वारा पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के हिसाब से उनकी 1994 से 2014 यानी की 20 साल की रिसर्च से ये पता चला कि पॉलिगेमस फैमिली में पहले बड़े बच्चे मेंटल हेल्थ इश्यूज, सोशल इनकंपैटिबिलिटी और लोअर एकेडमी अचीवमेंट से प्रॉब्लम्स फेस करते हैं। इन्हीं सब की वजह से भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने भी अपने सर्वे में यही कहा कि गवर्नमेंट को पॉलिगामी तुरंत बैन कर देनी चाहि। और ए पॉलिगामी बैन मुस्लिम के खिलाफ बिल्कुल नहीं है और सिर्फ मुस्लिम को ही इसका बेनिफिट मिलेगा। ऐसा भी बिल्कुल नहीं है। अगर आप साल 2022 में पब्लिश्ड नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के डाटा को देखोगे तो आज इंडिया में पॉलिगामी केसेस का कुछ यह परसेंटेज है। मुस्लिम में 1.9% , हिंदू उसमें 1.3% तथा क्रिश्चियन और बाकी कम्युनिटी में 1.6% है। धन्यवाद !
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