आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले है क्या पाकिस्तानी कंपनी ने किया था बीजेपी को फण्ड ? वैसे तो आपको बता दे की SC के कठिन प्रयासों के बाद EC ने इलेक्टोरल बांड को जारी कर दिया है लेकिन SC के इतने प्रयासों के बाद भी EC ने पूरी जानकारी नहीं जारी की है लेकिन इतनी जानकारी से ही पूरे देश में हलचल मची हुई है लेकिन इसी बीच एक खबर आती है की ट्वीटर पर एक पोस्ट होता है की 2019 में पकिस्तान की एक कंपनी बीजेपी को फण्ड किया था इलेक्टोरल बांड खरीदने के बाद ,लेकिन कुछ लोगो का कहना है की इस कंपनी ने कांग्रेस को फण्ड किया है फिलहाल चलिए जानने की कोशिश करते है की क्या कहानी है इन सब के पीछे ,क्या है सचाई ,चलिए सब कुछ सिसिलेवार तरीके से जानने की कोशिश करते है।। नमस्कार !!
क्या पाकिस्तानी कंपनी ने किया था बीजेपी को फण्ड ?-सोशल मीडिया पर क्या बवाल मचा है?
क्या पाकिस्तानी कंपनी ने किया था बीजेपी को फण्ड ?-इलेक्टोरल बांड के डाटा को चुनाव आयोग ने 14 मार्च की शाम अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया डाटा सामने आने के बाद कई पैटर्न्स खोजे जा रहे हैं और पैटर्न्स की व्याख्या भी हो रही है क्या छापे के बाद बॉन्ड्स खरीदे गए क्या बॉन्ड खरीदने के बाद ठेका मिला आदि इत्यादि एक तरफ इसका काम चल रहा है दूसरी तरफ सोशल मीडिया की जनता अलग लेवल पे खेल रही है दावा किया जा रहा है कि पुलवामा हमले के बाद एक पाकिस्तानी कंपनी ने बॉन्ड खरीदकर भाजपा को चंदा दिया कुछ यह भी कह रहे हैं
कि बॉन्ड तो पाकिस्तानी कंपनी ने खरीदे लेकिन दिए कांग्रेस को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर जो डटा जारी किया है उसमें हब पावर कंपनी के नाम से भी बॉन्ड्स खरीदे गए हैं हब पावर कंपनी ने कुल मिलाकर 95 लाख के बॉन्ड्स खरीदे कंपनी ने सिर्फ एक बार ये खरीद की 18 अप्रैल 2019 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रियंका देशमुख नाम की एक यूजर ने एक पोस्ट किया और लिखा कि पाकिस्तानी कंपनी ने बीजेपी को बॉन्ड के जरिए चंदा दिया वहीं कुछ यूजर्स ने यह भी दावा किया कि हब पार कंपनी ने बॉन्ड खरीदकर कांग्रेस को चंदा दिया है ||
क्या पाकिस्तानी कंपनी ने किया था बीजेपी को फण्ड ?-क्या है सच्चाई?
क्या पाकिस्तानी कंपनी ने किया था बीजेपी को फण्ड ?-अगर हम बात करे इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने से संबंधित नियम की तो भारत सरकार के अधीन आने वाली वेबसाइट पर स्पष्ट रूप से लिखे हैं वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला आयकर विभाग जो है उसकी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने की पात्रता लिखी हुई है की कौन-कौन खरीद सकता है इसके अनुसार भारत का नागरिक या भारत में बनी कंपनी ही इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीद सकती है इसके अलावा एसबीआई की वेबसाइट पर दिए गए एफ क्यू में भी यही बात लिखी है हमने इस बारे में अधिक जानकारी के लिए सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट निजाम पाशा से संपर्क किया उन्होंने बताया कि किसी पाकिस्तानी कंपनी के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने का दावा बेबुनियाद है
उन्होंने कहा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने के नियम को देखें तो इससे साफ है कि भारत के अलावा किसी अन्य देश का नागरिक या कंपनी इलेक्टोरल बॉन्ड को नहीं खरीद सकता।। -क्या कोई अन्य विदेशी कंपनी अपनी भारतीय सहायक कंपनी के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान करने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल कर सकती है इसके बारे में निजाम पाशा कहते हैं कि भारत में कोई विदेशी कंपनी अपनी सहायक बनाकर उसमें निवेश कर सकती है लेकिन अगर वह कंपनी पाकिस्तान बांग्लादेश और श्रीलंका की है तो उसके लिए काम करना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि इसके लिए उसे फेमा के तहत आरबीआई और एफडीआई के नियमों के तहत भारत सरकार की परमिशन लेनी पड़ेगी और ये परमिशन आसानी से मिलती नहीं है ऐसे में इन तीन देशों की कंपनीज का भारत में निवेश करने की बात बहुत दूर की लगती है लगभग बेबुनियाद है ।। धन्यवाद !!
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