आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले है Citizenship Amendment Act (CAA) की तो शुरू करते है ये बिल देश के दोनों सदनों में पास होने के 4 साल बाद देश भर में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए आज से लागू हो गया है 11मार्च को केंद्र सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि आम चुनाव से पहले यह काम हो जाएगा और अब ये लागू हो चुका है इसके लागू होने के बाद देश भर में दंगे वगैरा का माहौल भी बन सकता है इसलिए प्रसाशन को अलर्ट कर दिया गया है अब हम इसके बाकी के पहलू पर भी बात कर लेते है तो चलिए इसकी चाचा सिलसिलेवार तरीके से शुरू करते है।।
Citizenship Amendment Act (CAA)-क्या है ??
Citizenship Amendment Act (CAA)-नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए आज से लागू हो गया है 11 मार्च को केंद्र सरकार ने देश भर में लागू कर दिया है इस कानून के तहत सरकार बांग्लादेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगी इसमें शामिल हैं हिंदू सिख जैन बौद्ध पारसी और ईसाई इन तीनों देशों में यह समुदाय अल्पसंख्यक हैं हालांकि यह फायदा केवल उन्हीं प्रवासियों को मिलेगा जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके हैं
यानी इस कानून के तहत वो लोग जो फिलहाल भारत में अवैध प्रवासी या शरणार्थी हैं वे भारत के नागरिक बनने के पात्र हो जाएंगे यह सीएए का मेन पहलू है हालांकि इसके कुछ और पक्ष भी हैं इस कानून के पास होने के बाद बिल में शामिल छह समुदायों पर अवैध प्रवास को लेकर अगर कोई कानूनी कारवाई चल रही है तो अब व समाप्त हो जाएगी ।। इसके पहले इन पर क्या कानूनी कारवाई चल सकती थी विदेशी अधिनियम 1946 और पासपोर्ट अधिनियम 1920 के तहत सजा हो सकती थी यह कानून दिसंबर 2019 में संसद से पास हुआ और इसे बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी ||
Citizenship Amendment Act (CAA)-क्यों हो रहा है इसका विरोध ??
Citizenship Amendment Act (CAA)-सीएए के पास होने के बाद काफी विरोध भी हुआ था आपको ध्यान होगा कई जगहों पर यह विरोध हिंसक हो गए थे विरोध करने वालों का कहना था कि यह कानून धर्मों के बीच भेदभाव करता है है क्योंकि इसमें जिन्हें नागरिकता देने का प्रावधान है
उसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है बिल के समर्थकों ने कहा इसमें हिंदुओं को भी शामिल नहीं किया गया है मसलन श्रीलंका के तमिल हिंदू दोनों तरफ की कई दलीलें थी सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को रद्द करने की मांग के लिए 65 याचिकाएं भी दायर की गई हैं संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप इंडिया टुडे मैगजीन से बात करते हुए कहते हैं कि कानून के पक्ष और विपक्ष दोनों में तर्क है उनका बयान क्या है सभी मौलिक अधिकार तर्क संगत वर्गीकरण के अधीन है सीएए का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि अदालत इस कानून के तहत वर्गीकरण को तर्गत मानती है या नहीं इस संशोधन के पारित होने से पहले सुभाष कश्यप ने संसदीय समिति को सुझाव भी दिया था |
कि विशिष्ट धार्मिक समूहों का उल्लेख करने के बजाय सताए गए अल्पसंख्यक इन देशों में इस शब्द का प्रयोग ज्यादा उचित होगा क्योंकि इससे संशोधन के मकसद को मजबूत कानूनी और संवैधानिक आधार मिल जाएगा पूर्वोत्तर में कई जगहों पर सीए का विरोध इसलिए भी हो रहा था क्योंकि वे किसी भी धर्म के अवैध प्रवासियों को वहां की मूल आबादी की भाषा संस्कृति और जनसंख्या के लिए खतरा मानते हैं कानून में पहले से ही अरुणाचल प्रदेश ,नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और मेघालय के लगभग सभी हिस्सों और असम की आदिवासी बेल्ट को बाहर रखा गया है इंडिया मूविंग अ हिस्ट्री ऑफ माइ के लेखक हैं चिन्मय तुंबे वह इस विषय पर कहते हैं कि सीएए से लोग इसलिए नाराज थे कि कई अवैध प्रवासी आर्थिक कारणों से आए हैं और यह जरूरी नहीं कि उन्हें धर्म के आधार पर सताया ही गया हो इससे खास धर्मों और देश के सभी अवैध प्रवासियों को माफी मिल जाएगी यह विपक्ष में दलील थी।। धन्यवाद !!
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