आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले है Drugs & Magic Remedies Act के बारे में तो आपने कभी तो सुना हे होगा की हमारी क्रीम लगाइए हफ्ते भर में गोरे हजाएंगे इस गोली को खाइए तीन हफ्ते में मोटापा दूर हो जाएगा और हमारे बचपन से ही अखबारों में आने वाला वो इश्तेहार जिसमें एक आदमी की दो तस्वीरें होती हैं एक मे उसके सिर पर बाल नहीं होते दूसरे में सिर पूरी तरह बालों से भरा होता है और हमें लगता है यह वाली दवाई वापस से बाल उगा देती है ऐसे कितने ही इश्तेहार हम इंटरनेट टीवी अखबार में आए दिन देखते रहते हैं इसमें ऐसे दावे होते हैं जो असंभव से लगते हैं पर क्या आपने कभी ये सोचा है कि इन विज्ञान की क्रेडिबिलिटी माने विश्वसनीयता कितनी है अगर आप इन पर पैसे खर्च कर चुके हैं फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ तो आप क्या करेंगे क्या कोई ऐसा कानून है जो ऐसे फर्जी विज्ञापनों पर लगाम लगाता है इन सबका जवाब है भारतीय संविधान का Drugs & Magic Remedies Act लेकिन ये एक्ट है क्या आइये इसके बारे में जानने की कोशिश करते है ?
Drugs & Magic Remedies act – क्यों लगाई कोर्ट ने पतंजलि को फटकार?
Drugs & Magic Remedies act – के तहत दरअसल पतंजली आयुर्वेद से जुड़े एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा सरकार अपनी आंखें बंद करके बैठी है ऐसे विज्ञापनों से पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है 2 साल से आप इंतजार कर रहे हैं कि ड्रग्स एक्ट कब इसे प्रतिबंधित करेगी यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है सरकार को तत्काल कुछ कारवाई करनी होगी 27 फरवरी 2024 को देश की सर्वोच्च अदालत ने गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है कोर्ट ने पतंजलि के स्वास्थ्य संबंधित विज्ञापनों पर पूरी तरह रोक लगा दी है माने कंपनी आगे कभी इस तरह के विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर पाई सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि और उसके एमडीआचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया है
साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि कंपनी के खिलाफ कारवाई क्यों नहीं की गई कोर्ट ने आदेश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर दिया है जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की बेंच ने रामदेव की कंपनी पर पहले के आदेशों का पालन ना करने की आलोचना भी की बेंच ने कहा कोर्ट ने कंपनी को भी निर्देश दिया है कि वो भ्रामक जानकारी देने वाली अपनी दवाओं के सभी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंटविज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दें फटकार के बाद पतंजली की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट विपिन सांघी ने आश्वासन दिया कि कंपनी भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगी साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगी कि प्रेस में कैजुअल बयान ना दिए जाएं सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने के लिए पतंजलि को तीन हफ्ते का समय दिया है सुप्रीम कोर्ट की बेंच नेकंपनी को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज आपत्तिजनक विज्ञापन अधिनियम 1954 का हवाला दिया और पतंजलि के बीमारियों के इलाज के लिए बनाए गए उत्पादों के विज्ञापन पर भी रोक लगा दी।
Drugs & Magic Remedies Act क्या है?
Drugs & Magic Remedies act – क्या है अगर बात करे तो उसके बारे में भी जान लेते हैं ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज आपत्तिजनक विज्ञापन अधिनियम 1954 भारत की संसद से पास एक कानून है जो भारत में दवाओं के विज्ञापनों को नियंत्रित करता है यह जादुई गुणों का दावा करने वाली दवाओं और उपचारों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है अगर कोई संस्थान नियम नहीं मानता तो यह एक संगी अपराध मानी कॉग्निजेबल ऑफेंस है यानी इस केस से जुड़े मामलों में पुलिस स्टेशन का प्रभारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना भी जांच कर सकता है साथ ही बिना वारंट के गिरफ्तारी भी हो सकती है यह एक्ट किसी भी तरह कीमैजिक रेमेडी यानी जादू इलाज जैसे किसी ताबीज या मंत्र को मैजिक रेमेडी मानता है या ऐसी चीजें जिनके बारे में दावा किया जाता है कि इसमें इंसानों या जानवरों कीबीमारी को ठीक करने की चमत्कारी शक्ति है इसमें चीजों के अलावा ऐसे उपकरण भी शामिल है जिनके बारे में दावा किया जाता है किउनमें इंसानों या जानवरों के किसी अंग को प्रभावित करने की शक्ति होती है
एक्ट के सेक्शन तीन के मुताबिक ये कानून कुछ चीजों के लिए दवाओं और इलाज के प्रचार पर प्रतिबंध लगाता है इस कानून के तहतमहिलाओं में अबॉर्शन को बढ़ावा देने या गर्भधारण को रोकना सेक्सुअल क्षमता को सुधारना या बनाए रखना महिलाओं में पीरियड से संबंधित समस्याओं का समाधान और इस एक्ट में मेंशन की हुई बीमारियों में से किसी का भी इलाज निदान या उसकी रोकथाम करने को अपराध माना गया है कुल 50 से अधिक बीमारियों को में मेंशन किया गया है मगर इस कानून में कुछ अपवाद भी हैं उनके बारे में भी जान लेते हैं कोई ऐसी बीमारी डिसऑर्डर या मेडिकल कंडीशन जिसके लिए कोई निश्चित इलाज ना हो ऐसी बीमारियों को इस कानून के तहत छूट है जैसे कि पेट में दर्द या सर दर्द एक आम समस्या है इसके लिए बाजार में मौजूद दवाइयों को लेकर अगर कुछअतिशयोक्ति भरा प्रचार भी होता है तो इन्हें इस दायरे से बाहर रखा जाता है ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत गठित किए गए टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड से सलाह के बाद इस कानून से छूट मिल सकती है और केंद्र सरकार अगर जरूरी समझे तो कुछलोगों को का से छूट दे सकती है इसमें ऐसे व्यक्ति आते हैं जिन्हें केंद्र सरकार के अनुसार आयुर्वेदिक या यूनानी दवाओं केबारे में प्रैक्टिकल अनुभव है। धन्यवाद !
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