नेपाल दौरे पर S. जयशंकर-भारत के विदेश मंत्री S. जयशंकर साहब की पड़ोसी देश नेपाल की यात्रा के संबंध में. नेपाल की यात्रा की गई उस दौर में जब भारत के प्रधानमंत्री यात्रा पर लक्षद्वीप के लिए निकले हुए थे. उसी के बाद में भारत की तरफ से तो चर्चा मालदीव vs लक्षद्वीप होने लगा और इसी बीच में हमारे विदेश मंत्री यात्रा पर निकले थे|
नेपाल दौरे पर S. जयशंकर कब पहुंचे –
नेपाल दौरे पर S. जयशंकर कब पहुंचे– तीन और चार जनवरी को S जयशंकर जब नेपाल पहुंचे. एक ऐसे समय पर जब नेपाल के अंदर चीन के द्वारा निरंतर ऐसे प्रयास Belt and Road Initiative के माध्यम से किए जा रहे हैं कि इनके एयरपोर्ट को जो पोखरा नाम का एयरपोर्ट है उसे इनसे छीनने का प्रयास चल रहा है. क्योंकि बिना इनसे कहे BRI(belt and road initiative) का उसे हिस्सा बना दिया गया ऐसी स्थिति में हाल ही में नेपाल ने उनके बारे में जांच बैठाने का भी निर्णय लिया है लेकिन इसी बीच में भारत विदेश मंत्री नेपाल पहुंचते हैं. पहुंच करके यहां के बड़े नेताओं से मुलाकात करते हैं और मुलाकात के दौर में हीं निकलकर आता है|
कि यहां पर कुछ बड़े समझौते भी हुए लेकिन कुछ कॉन्ट्रोवर्सीज भी हुई. इन सारे के बारे में ब्रीफ डिटेलिंग इन्होंने अपने एक छोटे से video में दी जिसमें उन्होंने बकायदा शेयर किया कि यह यहां पर पहुंचे भारत के प्रतिनिधियों ने और वहां के नेताओं ने इनका स्वागत किया. यहां के विदेश मंत्री से आपने मुलाकात की भारत के जो सेंटर्स हैं वहां पर इन्होंने गबन की और साथ में जो भी ऑफिशल्स बड़े नेता हैं जैसे प्रमोद प्रभूद जन हैं, राष्ट्रपति हैं, प्रधानमंत्री हैं, बड़े नेता हैं उन सब से मुलाकात करके यहां पर कुछ योजनाओं का जिनका पहले प्रधानमंत्री ने अनाउंसमेंट किया हुआ था उनका उद्घाटन किया. साथ ही साथ यहां पर जो अन्य जन प्रतिनिधि विपक्षी पार्टी के थे उनसे भी इन्होंने मुलाकात की भारत और नेपाल के बीच में यह सातवीं ऐसी बैठक थी जब यह एक दूसरे के साथ में बैठे थे. इस प्रकार से एक प्रॉपर तरीके की मीटिंग यहां पर आयोजित की गई थी|
नेपाल दौरे पर S. जयशंकर की नाराजगी का कारण और मीटिंग में क्या – क्या हुआ –
तो आज के इस आर्टिकल में हम इस पूरी मीटिंग की डिटेल्स आपके साथ साझा करने वाले हैं. क्या क्या मीटिंग हुई किस तरह से भारत और नेपाल के बीच में और संबंध प्रगाढ़ होंगे और चीन को काउंटर करने के लिए ये मीटिंग कितना मायने रखती है ऐसी क्या घटना घटित हुई जिससे ऐसे शंकर साहब प्रसन्न नहीं थे क्या भारत और नेपाल के में जो रिश्तों में आई थोड़ी सी खटास है क्या वह इस मीटिंग के बाद में Normalize हो पाएगी? तमाम बातें आज के आज के इस आर्टिकल में हैं. जैसा की आप लोग जानते है की भारत के विदेश मंत्रालय के द्वारा एक अपडेट दिया गया चार और पांच तारीख का कहा गया कि S जयशंकर साहब नेपाल की यात्रा पर रहने वाले हैं जनवरी चार और पांच के दिन. S जयशंकर साहब ने चार जनवरी को ट्वीट किया. आप कहेंगे कि यह यह जानकारी इतना लेट क्यों आ रही है?-
क्योंकि मालदीव, लक्षद्वीप बहुत ज़्यादा मामला चर्चा में आ गया | 4 जनवरी के दिन S जयशंकर साहब नेपाल पहुंचते हैं और कहते हैं कि इस साल की मेरी पहली यात्रा है और ये दो दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचते है और यह रामचन्द्र पौडिल के साथ मुलाकात करते हैं. जो यहां के राष्ट्रपति हैं जिनको भारत के राष्ट्रपति की तरफ से Warm Greetings भेजी गई थी| उनको यहां पर हस्तांतरित करते हैं कि साहब वहां से मैं नमस्कार लेकर आप के लिए आया हूं. ऐसे ही प्रधानमंत्री जो हैं पुष्प कमल दहल प्रचण्ड के साथ मुलाकात करते है |
केवल इतना ही नहीं यहां पर भारत के विदेश मंत्री ने हमारे सबके जो बड़े नेता हैं उनकी ग्रीटिंग्स को वहां देते है. इसके साथ साथ जो और बड़े पुराने नेता हैं उन सब से भी मुलाकात तस्वीरों में आप देख सकते हैं. देवबा जो है उनके साथ जो पूर्व नेता है पूर्व PM है उनके साथ भी मुलाकात की ,शर्मा ओली जो भारत के खिलाफ जहर उगलने के लिए जाना जाता है जिसके काल में भारत और नेपाल के रिश्ते काफी खराब हुए चीन के कारण क्योंकि इनके बारे में निकल के आया था कि कोई चीनी Madam है जब से वह नेपाल पहुंची हैं तब से यह भटक गए हैं. यहां से इनका काम पूरी तरह से डिस्टर्ब हो गया है. भारत नेपाल का सीमा विवाद जो मैप को लेकर हुआ वह भी इन्हीं के दौर में हुआ था. ठीक है तो सभी बड़े नेताओं से शिष्टाचार मुलाकात हुई|
उसके बाद में दौर शुरू हुआ द्विपक्षीय वार्ताओं का द्विपक्षीय दौर में जब यहां पर इनके विदेश मंत्री के साथ बैठक हो रही थी. यहां पर कुछ ऐसे कार्यों का आयोजन किया गया जिनके बारे में या तो भारत भविष्य में प्लान कर रहा है या पहले प्लान हो चुका था उनका उद्घाटन होना था. S. जयशंकर ने ट्वीट करके यह जानकारी दी की हमने किस किस मुद्दे पर बात की- जिनमें से -land, रेल, Air की connectivity साथ में, defense का corporation, Security, Agriculture, Energy, Power, Water Resources Disaster Management, Tourism, Civil Aviation people to people and Cultural Exchange -जैसे तमाम मुद्दों पर दो देशों के बीच पर बात हुई है|
और नाराजगी का कारण यह था की जैसे वहाँ नेपाली Majority में हिंदू हैं और वह भारत से बहुत close contact हैं. चाहे अयोध्या में राम मंदिर वन रहा हो तो राम राम जी का जो ससुराल है वह नेपाल में हैं. वहां से भेंट चलकर के आ रही है अयोध्या तो भारत के साथ बड़ा ही Cultural connect है लेकिन चीन नेपाल को अपने से दूर नहीं जाना देना चाहता यही कारण है कि जयशंकर साहब जब वहां पहुंचे उसी समय एक Chinese मतलब व्यक्ति जो है जो बड़ा official पद पर था वह वहां पहुंच गया और इस बात से जयशंकर साहब नाराज़ हुए कि भाई आप लोगों ने एक व्यक्ति को जो कि चीन में एक Position रखता है उसे उसी समय पर क्यों आने दिया जिस समय मैं आया हुआ था|
नेपाल दौरे पर S. जयशंकर ने किन पांच मुद्दे पर विशेष जोर दिए —
नेपाल दौरे पर S. जयशंकर ने किन पांच मुद्दे पर विशेष जोर दिए –इन्होंने बकायदा पांच बड़े मुद्दे को exchange किया जिनमें पहला high impact community development project विकसित करना long term power trade यानी कि नेपाल से भारत बिजली खरीदेगा. आपको मैं बताऊं कि नेपाल हिमालय में बसा हुआ देश है. चूँकि ऊँचाई बहुत है तो जो पहाड़ों से होकर गुज़रने वाली नदियां हैं उनके ऊँचाई से गिरने से water जो मतलब पानी से जो बिजली(Hydro power) पैदा होती है | वहाँ पर नेपाल का Potential बहुत अच्छा है. 80,000 megawatt तक की capacity है per year की नेपाल की, लेकिन वो उनमें से मात्र तीन चार हज़ार megawatt का ही उत्पादन कर पाता है क्योंकि संसाधनों का अभाव है. ऐसी स्थिति में भारत ने इनसे कहा है कि आप development करिए हम अगले दस सालों में दस हज़ार megawatt आप से खरीदना चाहते हैं यानी प्रति साल आप हमको एक हज़ार megawatt बिजली बेच दीजिए इस तरह से हमने long term power trade इनके साथ किया. साथ ही साथ Renewable Energy Development के लिए जिसमें कि हम Solar के अंदर तो आपको मालूम ही है कि India बहुत lead कर रहा है. ऐसे ही अगर moon पर कोई satellite भेजना है उसके लिए भी सहमति हुई |
नेपाल दौरे पर S. जयशंकर में चीन की भूमिका–
नेपाल दौरे पर S. जयशंकर में चीन की भूमिका -आपको याद होना चाहिए कि Belt and Road Initiative भारत के लिए एक बड़ी चिंता का बात बना हुआ है. ऐसा क्यों? क्योंकि चीन के द्वारा भारत के पड़ोसी जितने भी देश हैं फिर चाहे वो पाकिस्तान हो, नेपाल हो, बांग्लादेश हो, भूटान हो, इन सब को Belt and Road Initiative श्री लंका हो, इन सब को Belt and Road Initiative के तहत घसीटा जा रहा है जहां तक सड़क पहुंचा सकता है सड़क पहुंचा रहा है जहां air connectivity पहुंचा सकता है वहां air नहीं तो रेल किसी ना किसी प्रकार से यह देशों को connect कर रहा है. ऐसे में भारत की चिंताएं तब बढ़ जाती हैं जब भारत ने नेपाल को As a Buffer State समझा हुआ हो और उस Buffer state में चीन के द्वारा Airport का रेलवे लाइन का development किया जा रहा हो. आपको मैं याद दिलाऊँ कि Belt and Road Initiative के तहत इन्होंने पोखरा नामक स्थान पर जो Airport Create किया था नेपाल के अंदर चीनी निवेश से उसे Belt and Road Initiative का हिस्सा बता दिया था|
नेपाली लोग इस बात से बहुत नाराज़ भी थी कि हमने चीन से केवल कर्जा लिया था उन्होंने इसे Belt and Road Initiative कह कैसे दिया और तो और चीन पहले से Belt and Road Initiative में डालता है और जब नेपाली लोग पैसा नहीं चुका पाते हैं तो ऐसी स्थिति में फिर इनको ये डर है कि कही हमारा वैसा हाल न हो जाए जैसा हाल श्री लंका का हुआ है. जैसे उनका एक पानी के लिए बना हुआ पोर्ट अब चीन ने सौ साल के लिए अपने पास रख लिया है कहीं ऐसा ना हो Belt and Road Initiative के नाम पर चीन चीन के द्वारा नेपाल के पोखरा में जो एयरपोर्ट बनाया गया है, वह एयरपोर्ट नेपाल को नहीं पता था कि वह BRI का हिस्सा है.
नेपाल ने BRI शुरू होने से पहले loan लिया था उसके लिए, लेकिन चीन ने उसे BRI का हिस्सा बना के अब अपने तरफ से यह announcement कर दिया कि यह तो हमारा BRI का हिस्सा है यह नेपाल की चिंता तो है ही है. भारत के लिए भी बड़ी चिंता की बात यही कारण है कि भारत नेपाल को खाली नहीं छोड़ना चाहता. वहीं दूसरी और चीन के पास पैसे की कमी फ़िलहाल तो है नहीं, ऐसी स्थिति में चीन के zigasa नामक स्थान से एक railway line को भी कोकड़ा तक लाने का और भारत के border Lungmini तक लाने का चीनी प्रयास जारी है. भारत चाहता है कि नेपाल को वह इस तरह से चीनी चीनी प्रकोप में आने से बचा पाए. इसी के चलते जयशंकर साहब यहां सभी प्रकार के लोगों से मुलाकात करते हैं |
और इसी क्रम में भारत ने इन्हें यह याद दिलाया कि हमने आपके यहां जब भूकंप आया था तब एक billion dollar की सहायता की पेशकश की थी |100 million dollar आपको घर बनाने के लिए 50 million dollar हेरिटेज के लिए, पचास million dollar एजुकेशन के लिए और पचास जो है वो स्वास्थ के लिए दिए गए थे|
दोस्तों अगर आप सभी को यह आर्टिकल नेपाल दौरे पर S. जयशंकर की नाराजगी से सम्बंधित जानकारी अच्छी लगी हो तो आप सभी इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें हम आप सभी के लिए इसी तरह का आर्टिकल प्रतिदिन शेयर करते रहते हैं जो आप सभी के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. धन्यवाद
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