Boycott Maldives :भारत और मालदीव की बीच इस वक्त काफी तनाव पैदा हो गया है.हालात यह हैं कि अब बात लोगों की ज़हन में घर कर गई है और लोगों पर भी इस का असर दिख रहा है वो stand ले रही है. Social media पर इसका हाल अच्छी तरह देखा जा सकता है. इस फसाद की जड़ मालदीव की वो मंत्री है जिन्होंने PM मोदी पर उनके लक्षद्वीप दौरे को लेकर टिप्पणी की.इस मंत्री समेत तीन को मालदीव सरकार ने सस्पेन्ड कर दिया तो वहीं भारत के खिलाफ जाने से खुद मालदीव को नुकसान है क्योंकि मालदीव की अर्थव्यवस्था बहुत ज़्यादा भारत पर निर्भर करती है. दरअसल मालदीव शुरू से ही भारत का एक भरोसेमंद पड़ोसी देश रहा है
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Boycott Maldives: अगर India ने छोड़ा साथ तो कंगाल हो जाएगा मालदीव
मालदीव शुरू से ही भारत का एक भरोसेमंद पड़ोसी रहा है. ( Boycott Maldives ) मालदीव का क्षेत्र ज़्यादा बड़ा नहीं मालदीव की आबादी में 98 फीसदी मुस्लिम है. बाकी 2% अन्य धर्म के लोग हैं. यहां के कुल आबादी बताएं तो केवल पांच लाख के करीब हैं. मालदीव करीब बारह सौ द्वीपों का एक समूह है. लेकिन ज़्यादातर द्वीपों में कोई रहता नहीं है. मालदीप के क्षेत्रफल की बात करें तो ये तीन सौ वर्ग किलोमीटर है यानी आसान भाषा में समझे तो दिल्ली का पांचवा हिस्सा.
Boycott Maldives मालदीव की इकॉनमी
अब बात करते हैं यहां की अर्थव्यवस्था की. Boycott Maldives मालदीव की इकॉनमी टूरिज्म पर ही डिपेंड करता है. वहां की GDP का करीब अट्ठाइसवां हिस्सा टूरिज्म का है जबकि foreign exchange में करीब साठ फीसदी योगदान टूरिज्म सेक्टर होता है. ऐसे में अगर भारत नाराज़ होता है तो मालदीव को काफी आर्थिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है. इतना ही नहीं भारत और मालदीव के बीच पिछले साल 500 Million dollar से ज़्यादा का कारोबार भी हुआ.
इस साल यह लगातार बढ़ा, मालदीव और भारत के बीच तीन दशक पहले व्यापार अनुबंध (Trade Agreement ) हुआ. इस अनुबंध के तहत मालदीव भारत से उन वस्तुओं का आयात करता है जो दूसरे देशों को निर्यात नहीं होता. इसके अलावा मालदीव के Interest Project में भी भारत का पैसा लगा हुआ है और यह तो आपको पता ही होगा कि मालदीव काफी समय से घूमने के लिए सबकी फेवरेट जगह रही है. भारतीयों के लिए मालदीव एक Best Tourist Spot रहा है.
भारत से मालदीव घूमने गए
इस साल भारत से दो लाख से ज़्यादा लोग मालदीव घूमने गए जहां भारतीय हैं और जाना बंद कर दें तो मालदीव के लिए आर्थिक संकट गहरा जाएगा और देखें तो पिछले साल ढाई लाख लोग गए थे और 2021 में तकरीबन तीन लाख लोग गए और 2020 में Corona के दौरान तिरसठ हज़ार भारतीय मालदीव घूमने गए थे, जो कि एक अच्छी खासी संख्या और टूरिज्म से उसको अच्छा खासा आय मिलता है. इसके साथ ही मालदीव खाने पीने की चीज़ों के लिए भी भारत पर निर्भर है देखा जाए तो जैसे आटा, चावल, मसाले, फ़ल, सब्ज़ियां, चीनी, मुर्गी पालन, उत्पाद के लिए मालदीप, Deliver, भारत पर ही टिकी हुई है.
इसके अलावा प्लास्टिक और लकड़ी के समान को भी यह मंगाता है. वैसे देखा जाए तो यह वाक्या जब हुआ तो अगले दिन मालदीव की सरकार ने मंत्रियो से किनारा कर लिया और कहा की उनका ये निजी विचार है और मालदीव के राष्ट्रपति चीन के लिए रवाना हो गए. अब ऐसे में यह बात उठती है कि क्या मालदीव भारत को नाराज़ करके चीन से दोस्ती बढ़ाएगा देखने वाली बात होगी.
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