राम मंदिर VS बाबरी मस्जिद – जैसा की आप लोग जानते हे है की राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है। आइये इससे सम्बंदित कुछ जानकारी जानते है। राम मंदिर केस इंडिया के इतिहास का दूसरा सबसे लम्बा चलने वाला केस जो केस पिछले 500 सालों से चल रहा है। क्या आप जानते हो की आखिर वो कौन से एविडेंस थे जिन्हें कोर्ट में जैसे ही प्रेजेंट किया गया। सिर्फ 40 दिनों के अंदर ये ऐतिहासिक और कंट्रोवर्शियल मुद्दा कैसे हमेशा के लिए सॉल्व हो गया? और वो भी सुप्रीम कोर्ट ने बाकायदा अपने फर्स्ट हियरिंग में एक्जेक्टली 14th अक्टूबर 2019 की डेट देकर कहा था। कि हम इस दिन इस केस को फाइनली सोल्व कर देंगे। इसके पीछे के कारण काफी इंटरेस्टिंग है। सिर्फ दो स्ट्रांग एविडेंस की वजह से ये हो पाया। जिसमें खुद मुगल और ब्रिटिशर्स ने ओपनली एक्सेप्ट किया है कि वहां पर हिस्टोरिकल राम मंदिर मौजूद था। अच्छा अब विपक्षी पार्टिया ये भाई कह रही है की ये पैसे की बर्बादी है ,लेकिन आप को ये जान कर हैरानी होगी ,की राम मंदिर न तो सरकारी पैसे से बना है न ही दान के पैसे से बना है ,लेकिन फिर भी राम मंदिर 0 रुपये में बना है , आइये जानते है की राम मंदिर कैसे 0 रुपये में बना है और क्या है राम मंदिर बनने की पूरी कहानी ??
राम मंदिर VS बाबरी मस्जिद – की पूरी कहानी??
राम मंदिर VS बाबरी मस्जिद की शुरुवात पहले 1528 से 1947 में हुई , 1528 में मुगल बादशाह बाबर ने अपने कमांडर मीर बाकी को आर्डर दिया कि वो अयोध्या में मौजूद राम मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बना दे और इस राम मंदिर को तुड़वाकर जो मस्जिद बनी थी, उसे बाबरी मस्जिद नाम दे दिया गया। लेकिन कई सोर्सेस के हिसाब से वहां के लोकल्स बाबरी मस्जिद के बाहर एक जगह पर पूजा पाठ करते थे। जिसे राम चबूतरा कहते हैं, वहां पर राम भगवान की पूजा फिर भी किया करते थे। इसी को लेकर वहां पर कई छोटे-मोटे दंगे होते आए हैं। लेकिन 1853 से 1859 के बीच इन छह सालों में यह दंगे काफी ज्यादा वायलेट होने लग गए थे। इतने वायलेट इतने सालों से इस इशू को इग्नोर कर रही ब्रिटिश गवर्नमेंट को भी इसमें खुद हस्तक्ष्छेप करना पड़ा। इसीलिए ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले बाबरी राम मंदिर एरिया को अपने कंट्रोल में लिया। फिर दोनों पार्टी में एक पीस एग्रीमेंट (शांति समझौता ) साइन करवाया। उन्होंने मंदिर एरिया को दो हिस्सों में डिवाइड किया। पहले बाबरी मस्जिद वाला हिस्सा मुस्लिम। को सोपा गया और दूसरा सीता रसोई और राम चबूतरे वाला हिस्सा हिंदू उसको दे दिया गया। जहां पर हिंदू उसे ऑलरेडी पूजा भी किया करते थे और दोनों पक्षों के बीच में उन्होंने फेंसिंग(तार ) करवा दी। अब भी इस सेटलमेंट से भी लोग खुश नहीं थे| स्पेशली हिंदू क्योंकि उनके हिसाब से अगर ऐसा ही था , तो इसका मतलब तो ये हो जाएगा कि हिंदू उसको एक खुले मैदान में भगवान की पूजा करनी पड़ेगी। इसीलिए हिंदू के पर्सपेक्टिव से यह एक पीस एग्रीमेंट की जगह पर एक कंप्रोमाइज ज्यादा था और इसीलिए वहां पर फिर भी संघर्ष होते रहे। लेकिन देश के आजादी के बाद इस मुद्दे में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट आया। 23rd दिसंबर 1949को कुछ लोगों ने बाबरी मस्जिद के बीचों-बीच राम भगवान की मूर्ति स्थापित कर दी और अगले ही दिन से लोगों ने वहां पर पूजा करना भी शुरू कर दिया।
इससे दोनों पार्टी के बीच में वापस से एक संघर्ष शुरू हो गया। अब ए संघर्ष इतना वायलेट हो गया की राम जन्म भूमि में एंट्री सभी के लिए एकदम बंद गई। इसके 12 दिनों बाद यानी की फिफ्थ जनवरी 1950 में महंत रामचंद्र दास जी ने फैजाबाद कोर्ट में ये अपील करते हुए केस फाइल किया कि उनका राइट टू वरशिप यह फंडामेंटल राइट वायलेट हो रहा है। अब ये केस कोर्ट में चल ही रहा था कि फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा जो कि हिंदू साधुओ का एक नेशनल ऑर्गेनाइजेशन है। उन्होंने भी ये कहते हुए केस फाइल कर दिया कि अयोध्या की लैंड का पोजीशन उनको पूजा करने के लिए मिलना चाहिए और फिर 1961 में उसे काउंटर करने के लिए मुस्लिम साइड से भी वक्त बोर्ड ने एक कोर्ट केस फाइल कर दिया। उनका दावा ये था क्यों ना यह लाइन मिल जाना चाहिए क्योंकि इस पूरे लैंड पर एक मस्जिद था तो वक्त बोर्ड ही उसे लैंड के ओरिजिनल ऑनर्स है और जो इस मुद्दे को लेकर छोटे-मोटे केसेस तो चल ही रहे थे, लेकिन मेजर्ली कोर्ट में अब दो हिंदू पक्ष थे और एक मुस्लिम पक्ष। और दोनों पक्ष वहां पर अपने धार्मिक स्थल बनाना चाहते थे। और फिर इसी मतभेद में सालों बीत गए। कोर्ट में लड़ाई चलती रही, लेकिन कोई भी निर्णय नहीं हो पाया। लेकिन 1985 में इस केस में एंट्री हुई एक पावरफुल ऑर्गेनाइजेशन विश्व हिंदू परिषद की इन्होंने भी राम मंदिर के लिए फैजाबाद कोर्ट में केस फाइल किया, जिसके बाद फैजाबाद कोर्ट ने एक राम मंदिर से जुड़े सारे केसेस को एक साथ एकत्रित करके एक जॉइंट वर्डिक्ट इशू किया, जिसके तहत 1986 में कोर्ट ने हिंदू उसको उसी जगह पर वह शिफ्ट करने की परमिशन दे दी। अब कोर्ट के इस वर्टेक्स से दूसरी साइड नाराज हो गई और उसे पे रिएक्ट करते हुए उन्होंने एक ग्रुप बाबरी एक्शन कमेटी बनाया। इस ग्रुप ने कोर्ट केस डिसीजन को चैलेंज किया और फिर से एक कोर्ट केस फाइल किया। फिर इसी नए कोर्ट के इसके रीटेलियेशन में 1989 में एक और एक हिंदू ऑर्गेनाइजेशन रामलाला विराजमान ने भी केस फाइल किया। इसलिए अब तक हिंदू साइट में चार मेन पेटीशनर्स थे और मुस्लिम साइड में दो में प्रिडिक्शनर्स थे। 1990 की शुरुआत में ए लड़ाई कोर्ट से निकलकर अनफॉर्चूनेटली रास्तों पर आ गए। हुआ कुछ यू 1990 में एक बड़े लीडर एल के आडवाणी जी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक एक रथ यात्रा निकाली।
ऐसी यात्रा में देश भर से लाखों की संख्या में लोग जुड़ रहे थे। अब ये रथ यात्रा अयोध्या पहुंचती। उसके पहले ही वहां के सिचुएशन काफी खराब हो गई और इसी सिचुएशन को देखते हुए 1991 में गवर्नमेंट ने इस पूरे राम जन्मभूमि लैंड का कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया और एरिया सील करवा दिया। ये दूसरी बार इतिहास में बाबरी राम जन्म भूमि लैंड को सील करके वहां पर एंट्री बैन कर दिया गया। लेकिन इस बार इसका इंपैक्ट काफी खतरनाक होने वाला था । तो हुआ यू की 6 दिसंबर 1992 को देश भर से हजारों की संख्या में लोग अयोध्या राम जन्म भूमि में जमा हुए और उन्होंने बाबरी मस्जिद को ही डिमोलिश (गिरा) कर दिया। अब ये होते ही पूरे देश। भर में जगह-जगह पर कम्युनल रियट्स (सामुदाईक दंगे ) होने लगे और 1992 के एक फेमस मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट भी इसी का ही एक रिएक्शन था। यह वही बम ब्लास्ट है जिसमें अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का मुख्य रोल था। इसके बाद भी ये मुद्दा शांत नहीं हुआ। आने वाले सालों तक ऐसे कई रेट्स( दंगे ) पूरे देश भर में चलते रहे जिसमें 2002 के गोधरा राइट सबसे मेजर थे। अब बाबरी के डिमोलेशन के बाद देश की रनिंग और अपोजिशन पार्टी ने दोनों पक्षों के बीच सुलह करने की भी कोशिश की। लेकिन कोई भी साइड कंप्रोमाइज नहीं करना चाहता था। और वो सभी कोशिशें नाकामयाब रही। इसी दौरान यानी कि साल 2002 में फैजाबाद कोर्ट से राम जन्मभूमि केस को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन बेंच की जज ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (ASI ) को साइट को सर्वे करने के ऑर्डर्स दिए और उन्हें यह बात पता लगाने के लिए कहा कि क्या वहां पर वाकई में मंदिर था या फिर नहीं अब कुछ सालों के इन्वेस्टिगेशन के बाद ASI का सर्वे पूरा हुआ और उन्होंने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को दी ।
इसी रिपोर्ट को साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेफर करते हुए एक प्रॉमिनेंट फैसला दिया। कोर्ट ने कहा किASI के हिसाब से जो उन्हें वहां पर एविडेंस मिले हैं, उसे ये निर्णय लिया जा सकता है कि वो जमीन पर वाकई में पहले राम मंदिर मौजूद था, लेकिन ये मुद्दा यहां पर भी कोर्ट के डिसीजन के बाद खत्म नहीं हुआ। अभी तो बल्कि शुरुआत थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फैसला लिया कि उसे लैंड को तीन पार्ट्स में डिवाइड करेंगे। पहले लैंड पार्ट जहां पर भगवान राम की मूर्ति थी उसे राम लल्ला विराजमान को दिया गया। दूसरा भाग यानी की सीता रसोई भंडारा और राम चबूतरा को निर्मोही अखाड़ा को दिया गया और शेष सारी जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दी गई। लेकिन एक बार फिर से कोई भी साइड हाई कोर्ट के डिसीजन से खुश नहीं था और इसीलिए इस बार सारे पार्टी ने डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया में ही अपील कर दी और इसी मुकाम पर राम जन्म भूमि के पूरे इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट की एंट्री होती है। सुप्रीम के पास अपील जाते ही सबसे पहले तो उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्डिक्ट को होल्ड पर डाल दिया। लेकिन कई सालों तक इस केस में कोई सुनवाई नहीं हुई , लेकिन फिर उसके बाद 2016 में एंट्री हुई। देश के एक प्रॉमिनेंट लॉयर सुब्रमण्यम स्वामी जी की इन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के लिए केस फाइल कर दिया और उनके केस फाइल करते ही बस एक ही साल में सुप्रीम कोर्ट में 32 नए अपील्स फाइल हुए। इस प्रेशर के वजह से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम जन्मभूमि केस पर डेफिनेटली 2019 से सुनवाई शुरू होगी और एक ही साल बाद वो दिन आ गया। 8 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के लिए पांच जज की बेंच को अपॉइंट किया|
यह जजमेंट ऐतिहासिक होने वाला था क्योंकि न सिर्फ एक 500 साल पुरानी केस सॉल्व होने वाली थी। बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को सॉल्व करने के लिए एक यूनिक स्ट्रेटजी मोल्डिंग रिलीफ प्रिंसिपल का इस्तेमाल किया। मोल्डिंग रिलीफ में बेसिकली कोर्ट्स दोनों पार्टी से पूछता है। क्यों ना एक्जेक्टली क्या मिलने पर वो मानेंगे कि? सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से पूछा कि क्या मिलने पर वो इस मुद्दे को यहीं पर खत्म कर देंगे। इस पे दोनों पक्षों ने अपने-अपने डिमांड सबमिट किये, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये कह दिया कि वो अब से ठीक 40 दिनों में यानी की 14th अक्टूबर को इस 500 सालों से चल रहे केस का फाइनल वर्डिक्ट दे देंगे। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वो ऐसी कौन से प्रूफ थे जिनके वजह से ये 500 साल पुराना केस कैसे सिर्फ 40 दिनों में ही खत्म हो गया। ये प्रूफ इतने स्ट्रांग थे कि जज को भी अपना जजमेंट राम मंदिर के फेवर में ही देना पड़ा। अब इंप्रूव्स को अच्छे से समझने के लिए ना हमने सुप्रीम कोर्ट के 1045 पेज वाले अयोध्या वर्डिक्ट का कंपलीट एनालिसिस किया जिसके बाद हमें ये पता चला कि अयोध्या केस जीतने में एएसआई द्वारा प्रोड्यूस किए हुए एविडेंस का मेजर रोल था। ASI ने टोटल 50033 एविडेंस सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रेजेंट किए थे। वो कौन से एविडेंस थे जिनके वजह से आज अयोध्या में राम मंदिर बना। प्रूफ नंबर वन विष्णु हरि इनस्क्रिप्शन यह है। विष्णु हरि इनस्क्रिप्शन स्टोर जो की बाबरी मस्जिद के निचले ढांचे से मिला था।
इस इंक्रिप्शन स्टोन में टोटल 20 लाइंस में हिंदू संस्करण लिखे हुए थे। जब ASI ने इसकी रीडिंग की तो इस इनस्क्रिप्शन के 19th लाइन में यह क्लीयरली मेंशन था कि यह मंदिर है उस राजा का जिसने 10 सर वाले राक्षस को मारा था। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रूफ को प्रॉमिनेंट कंसीडर किया प्रूफ नंबर टु हिंदू बेल (घंटी )। ये बेल मस्जिद के पिलर में बंधी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के लिए भी ये बात हैरान कर देने वाली थी जब ASI ने जज को ये बताया कि इस्लाम में आरती और उसमें होने वाले बेल का कोई कॉन्सेप्ट ही नहीं है, जबकि हिंदुइज्म है। बेल काफी इंपॉर्टेंस (महत्त्व ) रखता है और अधिकांशतः आपको हर मंदिर में देखने को मिल जाएगा तो इस प्रूफ को भी सुप्रीम कोर्ट को कंसीडर(मानना) करना पड़ा। प्रूफ नंबर थ्री पिलर्स पर दिखाने वाला कलश है जो बाबरी मस्जिद के पिलर्स में बनाया हुआ था और पूरे मस्जिद में ऐसे कुल (टोटल )12 पिलर्स थे। जहां पर हिंदू देवी देवताओं के डिजाइन और उनसे रिलेटेड स्कल्पचर्स मिले, जिनका डायरेक्ट लिंक 11th सेंचुरी से 12 सेंचुरी के राम जन्म भूमि मंदिर से था।
प्रूफ नंबर फोर मस्जिद के डोम पर कमल का फूल का चिन्ह ,ये सिर्फ पिलर पर ही नहीं बाबरी मस्जिद के डोम के केंद्र में भी कुछ ऐसा दिखाने वाला कमल का फूल का चिन्ह बना हुआ था। पांचवा और एक ऐसा प्रूफ जिसको कोई भी आम इंसान आसानी से देखकर बता सकता था वो है ये बाबरी मस्जिद में गेट जिसके आंख पर क्लीयरली श्री राम जन्म भूमि मंदिर लिखा हुआ था। सो ये सब तो सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे हुए आर्कियोलॉजिकल एविडेंस थे जो खुदाई या डिमिलेशन के बाद ASI को मिले थे।
अब बात करते हैं लिटरेरी सोर्सेस की, जिसके सबूत हिंदू सोर्सेस से लिए गए थे। इनफैक्ट सुप्रीम कोर्ट ने खुद मुगल और ब्रिटिशर्स के ही स्क्रिप्चर्स को यहां पर कंसीडर करके डिसीजन लिया। सो स्टार्टिंग विथ प्रूफ नंबर वन गुरु नानक जी की बायोग्राफी जन्म साखी। इसमें गुरु नानक जी अपने शिष्य पाल मर्दाना को बताते हैं कि जब साल 1500 में वह अयोध्या आए थे तब उन्होंने अयोध्या की सरयू नदी में नहाकर राम जन्म भूमि मंदिर में दर्शन किया था।
प्रूफ नंबर टू तुलसी दास जी की किताब तुलसी दोह सतक इसमें बताते हैं कि साल 1528 के गर्मी के मौसम में कुछ बाहर से आए फॉरेन आक्रमणकारी ने अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाया और इसी दौरान आक्रमणकारी ने वहां के कई हिंदू को जान से मार डाला। प्रूफ नंबर थ्री फॉरेन ट्रैवलर , कोर्ट में सिर्फ इंडियन लिटरेरी प्रूफ को ही स्वविकार नहीं किया गया। बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने विलियम फिंच और टिफिन टेलर जैसे फॉरेन ट्रैवलर्स के ट्रैवल्स यानी कि जैसे आज घूमते समय लोग ट्रैवल ब्लॉग्स रिकॉर्ड करते हैं। वैसे ही पहले के ट्रैवल्स अपने ट्रैवलिंग के दौरान अपने ऑब्जरवेशन को बुक में लिखा करते थे। इन्हीं ट्रैवल्स में से एक थे ब्रिटिश ट्रैवलर विलियम फिंच जिन्होंने अपनी बुक अर्ली ट्रैवल्स इन इंडिया 1583 से 1619 के बीच में लिखी है और जब वह 1608 में अपने अयोध्या यात्रा के लिए गए तो उन्होंने यह मेंशन किया कि वह एक राम के नाम की जगह पर गए और तब उन्होंने देखा कि वहां पर रामचंद्र का महल हुआ करता था जिसके कुछ अवशेष अभी भी बच्चे थे विलियम फिंच भी लिखते हैं कि आज भी कुछ ब्राह्मण वहां पर परिक्रमा करते हैं और कुछ इसी टाइप का मेंशन एक ऑस्ट्रिया ट्रैवलर टिफिन थाईलैंड ने भी अपने ट्रैवलॉग में किया है कि मुगल ने सरयू के किनारे पर स्थित मंदिर को तोड़ा था जहां अभी भी हिंदू द्वारा पूजा पाठ किया जाता है। प्रूफ नंबर फोर ब्रिटिश गवर्नमेंट ऑफिशल डॉक्युमेंट ब्रिटिश रूल के टाइम के ASI के फर्स्ट डायरेक्टर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने अवध प्रान्त के ऑफिशल डॉक्युमेंट में कहा है कि अयोध्या में जन्म स्थान वाले जगह पर एक बड़ा मंदिर हुआ करता था, जिसके कॉलम्स / पिल्लर्स का उपयोग करके बाबरी मस्जिद बनाया गया है।
साल 1886 में फैजाबाद जिला के जज कर्नल J.E.A शमीर के पास एक कैसे आया जिसमें महंत रघुवर दास जी ने उनसे ऑलरेडी पूजा हो रहे जगह पर मंदिर बनवाने की रिक्वेस्ट की। इस रिक्वेस्ट पर जज शमीर ने खुद पर्सनली वहां पर जाकर जांच की और जांच के ऊपर उन्होंने ऑफीशियली लिखा भी है कि अनफॉर्चूनेटली मस्जिद हिन्दुओ के सीक्रेट जगह पर बनाया गया है। अब बात करते हैं मुगल बादशाह औरंगजेब की बड़ी बेटी के द्वारा लिखा गया। लेटर साल 1707 में औरंगजेब की बड़ी बेटी ने मुस्लिम राजाओं को ऑर्डर दिया कि वो हिंदू उसके ऊपर रिलिजियस टेक्स अप्लाई करें और उनकी मूर्ति पूजन को रोके , कुछ उसी तरह से जैसे मुगल राजाओं ने 3 मुख्य मंदिर जैसे अयोध्या का राम मंदिर काशी का विश्वनाथ मंदिर और मथुरा कृष्ण मंदिर को तोड़ा था। इस लेटर के रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट को मुगल काल के इस्लामी राइटर नासिर बहादुर की किताब सहिफा- ए- चहाल में मिला। इस तरह के टोटल 500 और 33 सबूत सुप्रीम कोर्ट को दिए गए और सुप्रीम कोर्ट ने वहां पर मंदिर बनाने के पक्ष में डिसीजन दिया एवं मंदिर बनने टाइम जब नीव के लिए खुदाई की जा रही थी तो ऐसे टाइप के ढेरो आर्कियोलॉजिकल स्कल्पचर्स (साक्ष्य ) मिले हैं, जो हिंदुइज्म से रिलेटेड है। इनको अब सरकार अयोध्या में बनने वाले म्यूजियम में रखने वाली है।
राम मंदिर VS बाबरी मस्जिद– राम मंदिर बनने में कैसे लगे 0 रुपये ??
राम मंदिर VS बाबरी मस्जिद- राम मंदिर बनने से लेकर अभी तक ये बहस छिड़ी हुई है की राम मंदिर बनने में कितना पैसा खर्च कर रही है सरकार तो आप के बता दे की इसमें सरकार का इसमें कोई पैसा नहीं लगा है क्योकि अमर उजाला में पब्लिश एक आर्टिकल के अनुसार राम मंदिर के बनने में टोटल खर्च 900 करोड़ रखा गया था लेकिन लोगो ने राम मंदिर के लिए 3600 करोड़ का दान कर दिया था ,तो इस पैसे को श्री राम जन्म भूमि ट्रस्ट ने तीन बैंको में जमा कर दिया था ,स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ,पंजाब नेशनल बैंक, और बैंक ऑफ़ बड़ौदा में जमा कर दिया था ,और जब राम मंदिर बनने की बारी आई तो सिर्फ इन पैसो के ब्याज को केवल निकाला गया था और उसी से राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। धन्यवाद !
दोस्तों अगर आप सभी को यह आर्टिकल राम मंदिर VS बाबरी मस्जिद- की क्या है कहानी ,और राम मंदिर 0 रुपए में कैसे बना ?? से सम्बंधित जानकारी अच्छी लगी हो तो आप सभी इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें हम आप सभी के लिए इसी तरह का आर्टिकल प्रतिदिन शेयर करते रहते हैं जो आप सभी के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. धन्यवाद
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