अमेरिका ने मिलाया रूस से हाथ क्या है पूरी कहानी आइये इस आर्टिकल के माध्यम से जानने की कुछ कोशिश करते है। क्या अमेरिका ने यूक्रेन का साथ छोड़ दिया है। अभी तक तो जब रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा था। तब तो अमेरिका यूक्रेन के साथ खड़ा था और उसे बैकअप दे रहा था ,कहने है मतलब है की हथियार ,ड्रोन्स और बाकि चीजे भी कर रहा था , वैसे तो अगर देख जाए तो यहाँ भी अमेरिका सपोर्ट के नाम पे अपना व्यापार ही कर रहा था , क्योकि अमेरिका और रूस का इतिहास रहा है की जब भी दो लोग लड़ते है तो अमेरिका और रूस दोनों अलग -अलग साइड खड़े होकर दोनों पार्टियों को अपना -अपना हथियार बेचते है , ये समझ लीजिये की ये लोग विनाश और आर्थिक मंदी के टाइम पर भी अपना व्यापार करते रहते है। खैर आइये देखते है ये दुनिया के नजर में कट्टर दुश्मन दिखने वाले लोगो ने हाथ कैसे मिला लिया।
अमेरिका ने मिलाया रूस से हाथ , यूक्रेन अकेला पड़ गया क्या?
अमेरिका ने मिलाया रूस से हाथ , यूक्रेन अकेला पड़ गया क्या, तो देखिये अभी तक जब तक रूस और यूक्रेन का वार चल रहा था तब तक तो आप सब जानते ही हो की अमेरिका रूस के विरोध में खड़ा था ,और यूक्रेन के समर्थन में खड़ा था और यूक्रेन को सभी तरह से सपोर्ट कर रहा था यही तक नहीं जब रूस के हमले से यूक्रेनियन की जान गई तो अमेरिका इस बात को लेकर UN ( United Nation ) में भी गया और वहाँ पर इस बात को उठाया की रूस मानवाधिकार का उलंघन कर रहा है ये युद्ध तो दो देश के बीच में है इसमें फिर बेक़सूर लोगो को क्यों मारा जा रहा है।
अच्छा ये सब होते देख यूक्रेन को लगा की अब तो अमेरिका मेरे साथ है अब कोई मेरा क्या करेगा ,लेकिन जेलंस्की को ये नहीं पता था की अमेरिका किसी का सगा नहीं वो तो सिर्फ व्यापार और अपना फायदा देख रहा है , अच्छा इसी बीच सभी लोग अमेरिका के समर्थन में आ गए और रूस पर प्रतिबंध लगने लगा की कोई रूस से ,तेल कोई नहीं खरीदेगा ,यूरोपीय यूनियन ने इनकी बाते मन ली थी।
लेकिन इसमें भारत सबसे अलग खड़ा था S जयशंकर जी ने तो इनको बता दिया था की हम किसी के बहकावे में नहीं आते हमारे देश के लिए जो भी सही है हम करेंगे। जो देश अमेरिका की इस चाल को नहीं समझ पाए , वह इतनी आर्थिक मंदी आई की कई देशो की तो सरकार हे बदल गई।
अमेरिका ने मिलाया रूस से हाथ , क्या है अमेरिका को फायदा?
अमेरिका ने मिलाया रूस से हाथ देखिये इसमें कहानी ये है की जब रूस पर प्रतिबन्ध लगे तो कई देशो ने जब रूस से टेल लेना बंद किया तो दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धो में बहुत उलट फेर हुए , और ये सब अमेरिका ने ही शुरू किया था तो पहले तो अमेरिका ये नियम तोड़ नहीं सकता था। और दूसरी ओर अमेरिका का तेल का जो फोरेक्स रिज़र्व रखा है
वहाँ से तेल यूज़ किया जाने लगा और अब उस फोरेक्स रिज़र्व में से तेल कुछ कम हो गया है तो उसको भरने के लिए पिछले दो महीने से RUSSIYA से तेल खरीद रहा है ये खबर एक रूस के अखबार स्पूतनिक ने प्रकाशित किया है की अक्टूबर में 36,8०० बैरल तथा नवम्बर में 9,900 बैरल तेल खरीदा है है जिसकी कीमत $2.7 मिलियन का तेल खरीदा है। अच्छा इस पूरे खेल में भारत जो खुद तेल खरीदता है ,भारत इस बार यूरोप को तेल बेच रहा था ,क्योकि हम रूस से तेल खरीदते थे और अपने यहाँ से हम यूरोप को बेच देते थे। धन्यवाद !
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