क्या आप जानते है की जो मालद्वीप इतना उछाल रहा है कभी उसको भारत ने ही बर्बाद होने से बचाया था जिसकी चर्चा हम आज हम आपके साथ इस आर्टिकल में करने जा रहे है। आपको बता दे की अभी हमारे देश के प्रधानमंत्री तथा भारतवाशियो के ऊपर जो मालद्वीप ने मतलब वहां के मंत्री ने जो अभद्र पूर्ण संस्कृति का परिचय देते हुए हम भारतवाशियो का अपमान किया है। वो भारत के अहसान को भूल चुके है। आपने ऑपरेशन कैक्टस का नाम तो सुना ही होगा। इस आर्टिकल में हम उसी की बात करने वाले है। उससे पहले थोड़ी और चीजों के बारे में चर्चा कर लेते है|
मालद्वीप और लक्ष्यद्वीप के पर्यटन में क्या अंतर है??
लक्ष्यद्वीप का निर्माण यहाँ के समुद्री जीव मूंगा( कोरल ) से हुआ है और यह टूटने के बाद चट्टान बन जाता है यह पर शराब और मांश , जानवरो के बीफ पर बैन लगा हुआ हैं। और वही मालद्वीप की बात करे तो वहाँ शराब, मांश और जानवरो के बीफ पर बैन नहीं लगा हुआ हैं। अच्छा इन्होने अपने बाहरी द्वीपों पर ये सब बैन नहीं किया हुआ है क्योकि वहाँ पर विदेशी लोग आते है और जो भारत को छोड़कर अन्य देश के लोग वहाँ जाते है वो सब लोग मांश , बीफ , शराब तथा अन्य चीजे ज्यादा यूज़ करते हैं जिससे यह की इकॉनमी को बूस्ट मिलता है। लेकिन जहाँ इस देश की पब्लिक रहती है वहाँ पर ये सब बैन है।और यह दोनों द्वीप बिषुवत रेखा के पास में है जिसे डोलड्रम का क्षेत्र कहाँ जाता है। और यही कारण है की यहाँ पर सुनामी वगैरा नहीं आते क्योकि डोलड्रम के क्षेत्र को शांत क्षेत्र माना जाता है।
मालद्वीप का इतिहास??
भारत की तरह पहले यहाँ भी अंग्रेजी हुकूमत का शासन था। 26 जुलाई 1965 को मालद्वीप अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ। उसके बाद यह तीन साल तक राजसाही हुकूमत चली। साल 1968 में रिपब्लिक ऑफ़ मालद्वीप की अस्थापना की गई। इब्राहिम नासिर मालद्वीप के पहले राष्ट्रपति बनाये गए। 1975 में मालद्वीप की आर्थिक स्थिति बहुत खराब होने लगी। दुनिया भर से मालद्वीप की मछलियों का एक्सपोर्ट बंद होने लगा। तो यह की इस्थिति और खराब होने लगी। और नासिर की नीतियों की खिलाफ देश भर में विरोध होने लग। और जब उनको देश को आर्थिक स्थितियो को सही करने पटरी पर लाने की रास्ते खोजने थे तो वो देश छोड़ कर भाग गए। सूत्रों से पता चलता है की ये देश की मिलियन डॉलर चुराकर भागे थे। 1978 में यह तीसरी बार चुनाव हुए और मोमूल अब्दुल गयूम यह की नए राष्ट्रपति बने। और इनकी जीत इसीलिए पक्की थी क्योकि ये अकेले निर्दलीय उमीदवार थे। लेकिन इनके राष्ट्रपति बनाने की बाद देश की नीतियाँ सुधरने लगी। इकॉनमी पटरी पर आने लगी। इन्होने सबसे पहले टूरिसम को बढ़ावा दिया जीके लिए मालद्वीप आज दुनिया भर में जाना जाता है। मालद्वीप को इन्होने वर्ल्ड बैंक से जोड़ा। ये अपनी नीतियों की कारन अगले तीन साल तक वहाँ की राष्ट्रपति बने रहे। इस बीच यह की विपक्षी पार्टियों ने इन पर कई आरोप भी लगाए की इनकी लोकप्रियता काम हो सके।
मालद्वीप में क्यों किया गया– ऑप्रेशन कैक्टस?
यह की पूर्व राष्ट्रपति नासिर यह तख्तापलट करवाना चाहते थे। जो कूद मिलियन डॉलर जेकर यह से भाग चुके थे। कई बार कोशिश की लेकिन सफल न हो सका लेकिन -1988 में इसने पूरी तैयारी के साथ तख्तापलट करने की कोशिश की। इस बार उसे श्रीलंका के पीपुल- सेलिब्रेशन -ऑफ़- तमिल- इल्म का भी साथ मिला लेकिन भारत के वीर सैनिको ने इनके प्लान पर पानी फेर दिया। यह बात तब की है जब गयूम को देश से बहार जाना था। बात है 3 नवम्बर १९८८ की जब ग़यूमे सरकार भारत दौरे पर आने वाले थे। लेकिन उस समय भारत के प्रधानमंत्री रहे राजीव गाँधी जी को चुनाव के चलते भारत से बाहर जाना था और ये उन्ही से मिलने आ रहे थे भारत जिस कारण से यात्रा रद्दे हो गई|
और दूसरी तरफ नासिर एक बड़े आदमी के सपोर्ट से यह की राजधानी मालर में घुस चुके थ। और सभी सरकारी बिल्ड़िंग में घुस कर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया था। सभी सरकारी दफ्तरों पर कब्ज़ा कर लिया गया था और गोलियों की आवाज देश भर में गुजने लगी थी। और अब ये आतंकी राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ने लगे थे तभी ये खबर गयूम जी को मिलती है की तख्तापलट की कोशिस शुरू हो चुकी है इनके सिक्युरिटी एडवाइजर इनको एक सेफ स्थान पर ले गए।
गयूम के आदेश पर यहाँ के विदेश मंत्री इब्राहिम जाकिर दुशरे देशो से मदद की गुहार लगते है – पाकिस्तान , अमेरिका ,इंग्लैंड , श्रीलंका , आदि देशो से मदद मांगी जाती है लेकिन ये लोग अपने अपने हाथ खड़े कर देते है – इस कठिन समय पर भारत ही एक देश ऐसा होता है जो मदद के लिए आगे आता है और तुरंत राजीव गाँधी जी सभी बड़े अधिकारियों क्र साथ बैठक करते है जैसे आर्मी चीफ , एयरफोर्स चीफ , रॉ चीफ , नवसेना चीफ- यह तय होता है की भारतीय सेना मालद्वीप के पास हुलहुल आइलैंड पर भारतीय सैनिको का विमान लैंड करेगा , और जब बड़ी मुश्किलों के बाद भारतीय सेना वहाँ पहुँचती है मुश्किल इसलिए हो रही थी क्योकि हमारे पास मालद्वीप की कोई जानकारी नहीं थी , और यही से शुरू होता है ऑपरेशन कैक्टस |
आपको बता दे की यह पहली बार था जब भारतीय सेना किसी बड़े ऑप्रेशन को किसी विदेशी भूमि पर अंजाम देने जा रही थी। यह हालात बत से बत्तर होते जा रहे थे आतंकियों ने प्रेजिडेंट हाउस को सीज कर दिया था , बैंको को लूट लिया था और नागरिको को बंधक बनाया जा रहा था तथा
मार दिया जा रहा था। जब भारतीय सेना 2000 Km का सफर तय करके हुलहुलर द्वीप पर पहुँचता है उसके बाद हालात कुछ काबू में आता है और गयूम को हुलहुल द्वीप पर चलने को कहाँ जाता है लेकिन वो मना कर देते है और वो नेशनल सर्विस हेडक्वाटर जाते है और वहाँ से भारतीय प्र्धानमंती को धन्यवाद कहते है ये ऑप्रेशन अभी ख़तम नहीं हुआ था एजुकेशन मिनिस्टर का रेस्कू अभी बाकी था लेकिन जब आतंकियों को खबर लगती है की भारतीय सेना उनका काल बन के आ चुकी है तो इधर उधर भागने लगते है उनके पास एक ही रास्ता था की वो वहाँ से जान बचने का एक मात्र उपाय यही यह की वो वहाँ से भाग जाए। एजुकेशन मिनिस्टर अब्दुला लुतुफी के कब्जे में थे वह एक जहाज को हाईजैक करता है और वहाँ से भागने लगता है लेकिन भारतीय सेना उसे देख लेती है। वह श्रीलंका जाना चाहता था लेकि उधर से भारतीय नवसेना हरकत में आती है और लुतुफी की पकड़ लिया जाता है , इस प्रकार ऑपरेशन कैक्टस सफल होता है ,ऑपरेशन कैक्टस मालद्वीप पर ऐसा एहसान है जिसे वो कभी चुका नहीं सकता है। धन्यवाद !
दोस्तों अगर आप सभी को यह आर्टिकल मालद्वीप को जब भारत ने बचाया था। क्या है ऑपरेशन कैक्टस- से सम्बंधित जानकारी अच्छी लगी हो तो आप सभी इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें हम आप सभी के लिए इसी तरह का आर्टिकल प्रतिदिन शेयर करते रहते हैं जो आप सभी के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. धन्यवाद
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